लेखनी प्रतियोगिता -22-Nov-2021 अब मेरी बारी है
,🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺
बाबा सुन लेना तुम नहीं मैं पराई हूं,
घर के कोने कौने मै अब भी मैं समाई हूं,
क्यों कर दिए हाथ पीले,
भर जाते हैं आंखों में आंसू गीले गीले,
हम मुस्कां जाते है जज्बात छुपाते हैं---
सब देखें मेरे मुखड़े को बाबा तुझ सा बताते है,'
तेरे दिल का टुकड़ा मै, क्यों मुझसे छुपाते हो---
बाबा ब्याह के खातिर,क्यों कर्जा उठाते हो,
अपने बुढ़ापे को क्यो, मुश्किल बनाते हो,
हंसते-हंसते यूं ही क्यो आंसू छुपाते हो,
एक बात बताती हूं मैं माफी चाहती हूं,
छोटा मुंह और बड़ी बात है,
पर तुम को समझाती हूं---
मुझे तुमने पढ़ाया है इस योग्य बनाया है---
बचपन से आज तक एक पाठ पढ़ाया है,
मैं तो तेरा बेटा हूं, बस इतना सिखाया है,
फिर क्यों बाबा तुमने मुझे पराया बनाया है,
अपनी ख्वाहिशों को क्यों तुमने मिटाया था---
एक मेरे खातिर तुमने---
जीवन को अपने बाबा संघर्ष बनाया था,
अब मेरी बारी है एक कर्ज चुकाना है---
मां बाबा परवरिश का मुझे फर्ज निभाना है,
संगीता वर्मा ✍️✍️
fiza Tanvi
22-Nov-2021 09:28 PM
Good
Reply
Seema Priyadarshini sahay
22-Nov-2021 09:27 PM
बहुत खूबसूरत
Reply
Swati chourasia
22-Nov-2021 08:39 PM
Very beautiful 👌
Reply